डाक से लागों की काफी यादें जुडी हैं पुराने समय में डाक (चिट्ठी) ही सूचना का एक मात्र जरिया थी चिट्ठी के द्वारा ही लोग अपनी सारी सूचनाऐं अपने नजदीकी लोगों तक पहॅूचाते थे।
डाक व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए 9 अक्टूबर के दिन विश्व डाक दिवस के रूप में मनाया जाता है विश्व डाक दिवस यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की ओर से मनाया जाता है एक समय था जब लोग कम पढे लिखे थे तो जब कहीं से चिट्ठी आती थी या कहीं कोई चिट्ठी भेजनी होती थी तो लोगों को उन लोगों के पास जाना पडता था जो पढे लिखे होते थे लेकिन आज के समय में ऐसा नहीं है आज कल तो सूचना पहुँचाने के अनेकों साधन मौजूद है जिसके द्वारा सूचना का आदान-प्रदान बडी ही आसानी से किया जा सकता है आज के समय में तो डाक व्यवस्था भी काफी सरल कर दिया गया है सारे डाकघर कंप्यूटराइज्ड हो गये हैं।
भारतीय डाकघर का प्रधान कार्यलय देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में स्थित है।
भारत में पहली बार वर्ष 1766 में डाक व्यवस्था की शुरूआत की गई थी।
इसके बाद वर्ष 1774 में वॉरेन हेस्टिंग्स ने कलकत्ता में प्रथम डाकघर स्थापित किया।
चिट्ठी पर लगाये जाने वाले स्टेम्प की शुरूआत देश में वर्ष 1852 में हुई थी।
01 अक्टूबर 1854 को पूरे भारत हेतु महारानी विक्टोरिया के चित्र वाले डाक टिकट जारी किये गये।
अब तक का सबसे बड़ा डाक टिकट पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गाँधी पर 20 अगस्त 1991 को भारतीय डाक विभाग ने जारी किया।
भारतीय डाक विभाग ने 13 दिसम्बर 2006 को चन्दन, 7 फरवरी 2007 को गुलाब और 26 अप्रैल 2008 को जूही की खुशबू वाले सुगंधित डाक टिकट जारी किये हैं।
भारत में वर्तमान डाक पिनकोड नंबर की शुरूआत 15 अगस्त 1972 को हुई थी।
भारतीय डाक व्यवस्था ने 1 अक्टूबर 2004 को ही अपने सफर के 150 वर्ष पूरे किये थे।